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Sunday, October 12, 2025

भगवान परशुराम सेवा समिति ने बैठक कर, जातीय गुंडागर्दी का किया विरोध

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रजनी कांत पाण्डेय
रजनी कांत पाण्डेय
मैं रजनीकांत पाण्डेय पिछले कई वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ इस दौरान कई राष्ट्रिय समाचार पत्रों में कार्य करने के उपरान्त ख़बरों के डिजिटल माध्यम को चुना है,मेरा ख़ास उद्देश्य जन सरोकार की खबरों को प्रमुखता से उठाना है एवं न्याय दिलाना है जिसमे आपका सहयोग प्रार्थनीय है.

परिवर्तन टुडे चन्दौली
सकलडीहा। विकास खंड क्षेत्र के बथावर गांव में भगवान परशुराम सेवा समिति की मासिक बैठक रविवार को संपन्न हुई। बैठक में भगवान परशुराम के मंदिर निर्माण, संगठन के विस्तार और सामाजिक उत्थान पर गहन और सार्थक चर्चा हुई। रविवार को भगवान परशुराम सेवा समिति के उपाध्यक्ष नन्द शंकर पाठक के बथावर स्थित आवासीय कार्यालय पर समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों की मासिक बैठक संपन्न हुई। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान परशुराम के जयघोष के साथ हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता जीतेन्द्र प्रताप तिवारी ने किया।

बैठक में ध्वनिमत से निर्णय लिया गया कि जनपद में भगवान परशुराम का मंदिर होना चाहिए जिसके लिए शीघ्र ही भूमि पूजन करते हुए निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा। सभी ने एकमत होकर कहा कि एक वर्ष के अंदर ही मंदिर निर्माण कार्य करा लिया जायेगा। इसके बाद सामाजिक उत्थान के लिए विभिन्न आयोजनों और समिति के विस्तार पर चर्चा हुई जिसपर सभी ने अपनी राय दी और निर्णय हुआ कि अगली बैठक तक समिति के विस्तार का मसौदा तैयार किया जायेगा।

इस दौरान बैठक में समिति के उपाध्यक्ष नारायण तिवारी, कोषाध्यक्ष अनूप तिवारी, जीतेन्द्र प्रताप तिवारी, प्रहलाद पाण्डेय, मुरलीधर पाण्डेय, रोहित तिवारी, शिवम दुबे, शशिप्रकाश मिश्र, चन्दन पाण्डेय, आशुतोष तिवारी, रवि तिवारी सहित अन्य पदाधिकारी व सदस्य मौजूद रहे।

जातीय गुंडागर्दी के खिलाफ हर तरह से लड़ेगी समिति

भगवान परशुराम सेवा समिति ने जातीय गुंडागर्दी के खिलाफ हर तरह की लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया। समिति ने कहा कि प्रदेश और देश में ब्राह्मण वर्ग के प्रति हो रहे अपराध और प्रशासनिक उदासीनता कत्तई बर्दास्त करने योग्य नहीं है। समिति ने कहा कि भीम आर्मी जैसे संगठनों को संविधान को आत्मसात करना चाहिए न कि जातीय गुंडागर्दी। कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल मिश्र ने अपने संवैधानिक अधिकारों के दायरे में कुछ बातें कहीं है यदि उसपर किसी को आपत्ति है तो संविधान के दायरे में रहते हुए असहमति व्यक्त कर सकता है लेकिन कुछ जातिवादी गुंडे संविधान और लोकतंत्र की दुहाई तो देते हैं लेकिन खुद उसे नहीं मानते। समिति ने चेताया कि जो सरकारें या राजनैतिक दल ऐसे गुंडों का पोषण कर रहे हैं वे सचेत हो जाएं नहीं तो इनको खामियाजा भुगतना पड़ेगा। समिति ने जातिवादी गुंडों के खिलाफ सड़क से संसद तक लड़ने का संकल्प लिया।

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