परिवर्तन टुडे डेस्क
चंदौली। इस बार रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त को मनाया जाएगा और ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन ऐतिहासिक महत्व का होगा। खास बात यह है कि इस बार राखी के दिन भद्रा काल नहीं रहेगा, जिससे सुबह से ही शुभ समय में राखी बांधने की परंपरा निभाई जा सकेगी।
आचार्य लक्ष्मीनारायण पांडेय के अनुसार 9 अगस्त को सूर्य और बुध कर्क राशि में, चंद्रमा मकर में, मंगल कन्या में, गुरु व शुक्र मिथुन में, राहु कुंभ में और केतु सिंह राशि में रहेंगे। इस दिन सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा, जिसे अत्यंत मंगलकारी माना जाता है। मान्यता है कि इस समय राखी बांधने से भाई के जीवन में सुख, समृद्धि और उन्नति आती है।
परंपरा के अनुसार राखी बांधते समय भाई का मुख पूर्व, उत्तर या पूर्वोत्तर दिशा में होना चाहिए। पहले भाई के माथे पर तिलक और आरती करें, फिर रक्षामंत्र का उच्चारण करते हुए दाएं हाथ की कलाई पर राखी बांधें और मिठाई खिलाएं।
ज्योतिष मत में राखी में तीन गांठ लगाने का विशेष महत्व है। पहली गांठ भाई की लंबी उम्र के लिए, दूसरी भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास के लिए और तीसरी उसे धर्म, सत्य व मर्यादा के मार्ग पर चलने तथा बहन की रक्षा करने की याद दिलाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार का रक्षाबंधन न सिर्फ भाई-बहन के प्रेम का पर्व होगा, बल्कि दुर्लभ ग्रहयोग के कारण यह आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत शुभ अवसर बन गया है।