परिवर्तन टुडे डेस्क
लखनऊ। कांशीराम स्मारक स्थल पर स्व.कांशीराम की पुण्यतिथि के अवसर पर गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी की जबरदस्त महारैली हुई। जिसमें गुरुवार को समूचा लखनऊ नीले रंग में रंगा हुआ नज़र आया। रैली के बहाने बसपा सुप्रीमो मायावती ने समर्थकों के बीच अपनी लोकप्रियता और पार्टी की राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया।
कांशीराम की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित इस रैली में लाखों कार्यकर्ता शामिल हुए। रैली स्थल पर कार्यकर्ताओं का आने का बुधवार से ही रेला दिखाई दिया। गुरुवार आयोजित इस भीड़ को देख अन्य राजनीतिक दलों में खलबली मच गई। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावतीने रैली को संबोधित किया, जिसमें वह लोकसभा चुनाव के दौरान संविधान बदले जाने के बारे में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस द्वारा किए गए दावों का पर्दाफाश किया। साथ ही, वह दलित वोट बैंक को एकजुट करने और बसपा को मजबूत करने की अपील भी की।
बता दें कि लगातार वोट बैंक घटने और लोकसभा व विधानसभा में उपस्थिति नगण्य होने की वजह से बसपा अपने संगठन का पुनर्गठन कर दलितों में दोबारा पैठ बनाने की कवायद कर रही है। बीते 15 वर्षों के दौरान हुए लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में दलित वोट बैंक का रुख अन्य दलों की ओर हुआ है,जिसने बसपा की मुश्किल बढ़ा दी है। यही वजह है कि बसपा सुप्रीमो ने इस बार कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर विशाल रैली का आयोजन किया है, जिसमें कई लाख समर्थकों शामिल हुए।
बता दें कि एक लंबे अंतराल के बाद बीएसपी द्वारा कोई रैली की गई। जिसे बीएसपी द्वारा राजनीतिक ज़मीन मज़बूत करने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। बसपा प्रमुख मायावती ने सबसे पहले कांशीराम की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें याद करते हुए कहा कि उनका संघर्ष आज भी बसपा की प्रेरणा है। उन्होंने यह भी कहा कि बहुजन आंदोलन सिर्फ सत्ता की राजनीति नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और आत्मसम्मान की लड़ाई है। कांशीराम जी का सपना पूरा करने के लिए बसपा निरंतर संघर्ष करेगी। अपने संबोधन में मायावती ने कई अहम राजनीतिक संकेत दिए। उन्होंने केंद्र सरकार के कुछ फैसलों का समर्थन करते हुए कहा कि अगर कोई नीति देशहित में होगी तो बसपा उसका विरोध नहीं करेगी। मायावती ने कहा कि दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों की आवाज़ को बुलंद करने के लिए बसपा ही एकमात्र विकल्प है।