परिवर्तन टुडे डेस्क
वाराणसी। उत्तर प्रदेश में शिक्षक पात्रता परीक्षा टीईटी को लेकर उठे विवाद के बीच, ऑल इंडिया एनपीएस एम्प्लॉइज फेडरेशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को राज्य सरकार के आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ से भेंट कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन शिक्षकों के लिए न्याय की मांग की गई है, जिनकी नियुक्ति 23 अगस्त 2010 से पहले हुई थी, लेकिन अब उन्हें अचानक टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल ने इसे “अविवेकपूर्ण, अन्यायपूर्ण और शिक्षकों के भविष्य के साथ खिलवाड़” बताते हुए नियम को वापस लेने की मांग की। संगठन का कहना है कि इन शिक्षकों की नियुक्ति उस समय के सेवा नियमों के तहत वैध रूप से हुई थी, जब टीईटी अनिवार्य नहीं था।
प्रमुख सदस्य अमित पाण्डेय ने कहा, खेल के बीच में खेल के नियम नहीं बदले जाते। वर्षों की सेवा और समर्पण के बाद अब शिक्षकों को अयोग्य ठहराना केवल उनके भविष्य ही नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। प्रतिनिधिमंडल ने सरकार से अपील किया है कि इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए, ताकि वरिष्ठ शिक्षकों की गरिमा और भविष्य सुरक्षित रह सके। प्रतिनिधियों ने इसे केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक मुद्दा बताया। ज्ञापन लेते हुए राज्य मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने प्रतिनिधियों की बातों को गंभीरता से सुना और उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस संवेदनशील विषय को सरकार के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। इस अवसर पर ऑल इंडिया एनपीएस एम्प्लॉइज फेडरेशन से जुड़े कई वरिष्ठ शिक्षक व प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
जिनमें प्रमुख रूप से अमित पाण्डेय, मृत्युंजय त्रिपाठी, राजन मिश्रा, नवीन सिंह, कमलेश सिंह, शशांक पाण्डेय (जिलाध्यक्ष, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ), राकेश मिश्रा, प्रभाकर चौबे, दिनेश सिंह, प्रवीण पाण्डेय, अभिनन्दन पाण्डेय, धीरज यादव, रवि कुमार, आशीष यादव, चंद्रशेखर यादव, अनंत प्रकाश रस्तोगी, रणविजय सिंह, अरविंद पाण्डेय, पूजा आर्या, पूनम गुप्ता, कुसुम श्रीवास्तव, प्रीति केशरी, और विनीत पाठक मौजूद रहे।